26/06/2016

" मैं अबकी मञ्च हिलाऊँगा "

मैं अबकी मञ्च हिलाऊँगा,
सारी जनता बुलवाऊँगा ।
जो सोये हैं बरसों से , अब,
उनको जागृत कर जाऊँगा ।।1।।

घर - घर दामिनियाँ आयेंगी,
हिजड़ो को मार भगाएँगी ।
सब जाएँ जिसे जहाँ जाना,
मैं उनका साथ निभाऊँगा ।।2।।

जनता के जितने रखवाले,
शायद कम हैं, ओ मन्त्रालय ।
यदि नही किए तुम और अधिक,
खटिया मैं खड़ी कराऊँगा ।।3।।

तुम जितने संग दुर्व्यवहार किये,
आँसू सबको उपहार दिये ।
तलवार से तेरा शिश्न काट ,
मैं कुत्तों में बटवाऊँगा ।।4।।

तेजाब से चेहरा काट दिये,
इक जिस्म को सौ में बाँट दिये ।
ईश्वर कर दे बलवान मुझे,
मैं सबको मार गिराऊँगा ।।5।।

कुछ वीर सिपाही नीच हुए,
न पुरुष, न स्त्री, बीच हुए ।
हाँथों में लेटर दिलवाकर,
ड्यूटी निरस्त करवाऊँगा ।।6।।

सरकार पसीना छोड़ेगी ,
जनता संवेग से बोलेगी ।
अफरातफरी मच जाएगी,
तब लोकतंत्र बनवाऊँगा ।।7।।

 ऐसी बीभत्स कहानी पर,
न अब मैं शोर मचाऊँगा।
हाथों में  सबके दे फरसा,
सर,धड़ से अलग कराऊँगा ।।8।।

जब होगी होली दुर्जन संग,
धरती लतपत करवाऊँगा ।
घनघोर तांडव जब होगा,
इतिहास नया रचवाऊँगा ।।9।।

मैं अबकी मञ्च हिलाऊँगा,
सारी जनता बुलवाऊँगा ।
जो सोये हैं बरसों से,अब,
उनको जागृत कर जाऊँगा ।।
                                 

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