26/06/2016

" वादा - ए - इश्क "

मेरी मुहब्बत को यूँ ठुकराया न करो,
समझ में आऊँ न,तो पास, आया न करो ।
और वैसे भी हमें तुम जैसों से उम्मीद नही करनी थी,
धोखा दो ,तो दो मलहम लगाया न करो ।।1।।

बंदिशें अक्सर तोड़ देती हैं मजबूत रिस्तों को,
रिस्ते तोड़ दें ऐसी बंदिशें लगाया न करो ।
और जगत है प्रेम का, बस प्रेम किये जाओ,
किसी को लूट कर उसकी चिता जलाया न करो ।।2।।

लो इम्तहान उतना ही,जितना वाजिब हो,
यूँ फँसा के किसी को तड़पाया न करो ।
और हम तो इबादत करते हैं तेरी खातिर,
अमृत दो या नही, जहर पिलाया न करो ।।3।।

पहले तय कर लो मुनासिब हूँ या मैं नही,
ताक झाँक के मुझको यूँ मुस्कुराया न करो ।
और इश्क है तो खुल के सामने आओ,
दरवाजे और खिड़कियों के पीछे सरमाया न करो ।।4।।

सुन्दर लगती हो जब पलकें हों झुकी थोड़ा,
झुकाए रखो इन्हें यूँ ही, उठाया न करो ।
बातें करनी है तो जुबाँ से बात करो,
आँख से बात कर मुझको यूँ रिझाया न करो ।।5।।

ये जो रुखसार है तेरा बड़ा ही भाता है,
छिपाना हो तो इसे सामने लाया न करो ।
और जाम से जाम लड़े न जब तक ,
प्यार की महफिलें ऐसे ही सजाया न करो ।।6।।
                                   
कहाँ - कहाँ से भाग पाओगे
नीचता करोगे तो सामने आओगे ।
और वैसे तो तुम ठहरा दिए हमें
इश्क में बेवफा,
अपनी वफादारी का प्रमाण - पत्र
किस -किस को दिखा पाओगे ।।


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