25/06/2016

"कविता तुम, कवि बन जाता हूँ"

तुम रहती जब सामने मेरे,
मैं तेरा छवि बन जाता हूँ ।
बातें करती जब प्यार भरी,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।1।।

दुःख दूर करो तुम पास रहो,
सुख दुःख में तुमको पाता हूँ ।
चलती जाओ तुम हाँथ पकड़,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।2।।

सरिता सी कल कल तुम करती,
मैं सुन्दर गीत सुनाता हूँ ।
तुम चित्त लगा सुनती जाओ,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।3।।

जीवन में जितनी कलियाँ थी,
सब छोड़ तुम्हे अपनाता हूँ ।
सारी दुनिया कर एक तरफ,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।4।।

तेरी दूरी जो है असह्य,
अभिशप्त मैं खुद को पाता हूँ ।
जब सबमें दिखने लगती हो,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।5।।
                               

1 comment:

Anonymous said...

Jai Jai bahut uttam likhe Ho guru

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