26/06/2016

" सरस्वती वन्दना "

हे माँ मेरा अज्ञान हर
सम्पूर्ण देश का ज्ञान भर ,
हम सत्यनिष्ठ बने रहें
इतना ही बस उपकार कर ।
हम मार्ग न भूलें कभी
कठिनाइयाँ यदि हों सभी,
हम अपनी राह बढ़े रहें,
न कभी किसी से डरे रहें ।।
मेरी प्रार्थना स्वीकार कर ।।

हर व्यक्ति का संसार हो
उसमें ही सारा प्यार हो,
यह देशप्रेम बना रहे
ऐसा मेरा परिवार हो ।
कोई भी न भटके कभी
अब एकता में बधें सभी,
कोई न अभिमानी रहे
गमनागमन भी बना रहे ।।
बस इतना तो तू समान कर ।।

मेरी आत्मशक्ति न क्षीण हो
भले विश्व की ही न भीड़ हो,
हम अपनी नीति सफल करें
चाहे घन,गर्जन गम्भीर हो ।
सबका हृदय चट्टान हो
और हिम्मती ये जहान हो,
मेरी कामना को पूर्णकर
संसार भी सम्पूर्ण कर ।।
अब इतना मेरा काम कर ।।

मेरी वाणी में गाम्भीर्य भर
मेरे सर्वपापों का नाश कर,
मुझसे भूल में भी न भूल हो
ऐसा कोई वरदान कर ।
हर मार्ग पर बस शूल हैं
खिलते नही अब फूल हैं,
ज़रा देखो हम पे ध्यान दो
हम अटकें न यह शान दो ।।
इस बात को तू श्रवणकर ।।

हे माँ मेरा अज्ञान हर,
सम्पूर्ण विश्व का ज्ञान भर ।।
                                 

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