26/06/2016

" गज़ल "

है तुमको छुआ या छुआ आसमाँ है,
न है कोई पास मगर बेहतर शमाँ है ।।

जहाँ भी कहीं नजर जाए तो जाए,
है तेरी ही दुनिया तेरा ये जहाँ है ।।

हूँ काटों में शायद फिकर ही नही कुछ,
है तेरा कहाँ घर मेरा घर कहाँ है।।

मैं तेरा अगर हमसफर बन न पाया,
है कारण तुही बेवफा ये बयाँ है ।।

वो तेरा खुदा है या खुद तू खुदा है,
तू बेफिक्र है,वह तड़पता वहाँ है ।।

तू खुश तो है ना,वहाँ राजमहल में,
है मरता मगर छोड़ता वो निशाँ है ।।

जहाँ भी रुकेगा तेरा नाम लेकर,
वहीं पे है उसका बने आशियाँ है ।।
                                          

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