19/07/2016

" हिन्दुस्तान "

जी चाहे है जीवन को मैं एक नया इन्सान बना दूँ ,
देखूँ मैं आतंक जहाँ भी जगह को उस शमशान बना दूँ ।
हो जाऊँ मैं निठुर हठी जब समझाने से वो न समझें,
पाकिस्तानी धरती पे मैं दूसरा हिन्दुस्तान बना दूँ ।।1।।

जितनों के मुख में गाली है अब जुबान उनकी अटका दूँ ,
राष्ट्रद्रोह करने वालों को सब मिल शूली पे लटका दूँ ।
हों कितने परमाणु,मिसाइल हमको नही डरा सकते हो,
कभी मिलो मुझसे प्यारे! तो मैं अपनी औकात दिखा दूँ ।।2।।

कलह,क्लेश,कपटी लोगों में प्रेम का मैं इक दीप जला दूँ ,
मुझमें इतनी शक्ति भरो कि भारत को मैं नई कला दूँ ।
हो खुशहाल सभी का जीवन ऐसा कुछ वरदान मुझे दो,
इस समग्र-संसार तमस को एक बार मैं पुनः जला दूँ ।।3।।

जीवन है आतंकित भय से स्वयं में मैं अभिमान जगा दूँ ,
एक नही सौ-सौ फायर हों इतना मैं बलवान बना दूँ ।
राष्ट्रभक्ति में अगर कलम सर होने की नौबत आए तो ,
ईश्वर शक्ति मुझे देना कि अपना मैं बलिदान चढ़ा दूँ ।।4।।

बुद्धि को परिमार्जित कर दो एक नया संसार बना दूँ ,
निश्छल और निष्कपट गरीबों का अच्छा घर-द्वार बना दूँ ।
जब तक रहूँ जिऊँ ऐसे ही, ऐसा कुछ वरदान मुझे दो,
हिन्दुस्तान की धरती को मैं विश्वविजय का हार चढ़ा दूँ ।।5।।

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