21/07/2016

" एक तरफ मेरी माँ है और एक तरफ है प्यार मेरा "

एक तरफ मेरी माँ है और एक तरफ है प्यार मेरा ।
दोनों मेरा जीवन हैं दोनों में ही संसार मेरा ।।

अवगाहन करता हूँ अपनी माँ से सुनी कहानी में,
उसको मैं प्रायः देखूँ राधा जैसी दीवानी में,
एक कहानी अकथनीय है दूजे से विस्तार मेरा ।।

पिता, भाइयों, बहनों में भी प्यार अजेय सा दिखता है,
निश्छल और निष्कपट प्यार न बाजारों में बिकता है,
गुरुजन मेरे ईश्वर हैं उनसे ही सारा सार मेरा ।।

जीवन भी मुश्किल घड़ियों में कठिन परीक्षा लेता है,
भौतिकता जो सीख लिया इच्छा पूरी कर लेता है,
द्वार और घर छोटा है पर प्यार भरा परिवार मेरा ।।

स्वार्थ और नि:स्वार्थ भाव के लोग बहुत से दिखते हैं,
लोग यहाँ ऐसे भी हैं जो कुछ पैसों में बिकते हैं,
मित्र बहुत उत्तम हैं मेरे जीवन है साकार मेरा ।।

बहन नही कहता मैं सबको और नही कहना चाहूँ,
पर इज्जत करता हूँ सबकी सबके संग रहना चाहूँ,
किसी के भावों से मैं खेलूँ ऐसा न व्यवहार मेरा ।।

देशप्रेम करना चाहें और देशप्रेम हम करते हैं,
मातृभूमि पे नतमस्तक हैं, मातृभूमि पे मरते हैं,
प्यार हमें करना आता न देशद्रोह व्यापार मेरा ।।

कितने राष्ट्रभक्त फौजी दंगों में मारे जाते हैं,
कितने सैनिक बेचारों के संघ जलाये जाते हैं,
चाहूँ मैं ऐसे भक्तों को नमन करें स्वीकार मेरा ।।

गंगा की अविरल धाराएँ काशी में जो बहती हैं,
कल - कल, छल - छल करती मेरे कानों मे कुछ कहती हैं,
उठो पुत्र ! ले जाओ जीवन का सर्वस्व श्रृंगार मेरा ।।

बहुत क्लिष्ट शब्दों से अपनी कविताएँ वो लिखते हैं,
जनमानस के बीच नही विद्वानों में वो दिखते हैं,
 भावों की कविता लिखता, न शब्दों का बाजार मेरा ।।

अभी आपका अनुज हूँ मैं और अभी अनुज ही रहने दो ,
प्यार से मैं जीवन जीता हूँ ,प्यारी बातें कहने दो,
अभी मञ्च पे आया हूँ यूँ करो न जय जयकार मेरा ।।

एक तरफ मेरी माँ है और एक तरफ है प्यार मेरा ।
दोनों मेरा जीवन हैं दोनों में ही संसार मेरा ।।


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