19/07/2016

" गीत "

अजनबी शहर में अजनबी राह पर
अजनबी से मुलाकात होने लगी ।
अजनबी वो भी थे अजनबी हम भी थे
अजनबी से जरा बात होने लगी ।।

धीरे - धीरे बढ़ा सिलसिला बातों का
बातों - बातों में हम पास आने लगे ।
आये वो पास मेरे तो स्नेहित हुआ
और भी पास आये चाहत बढ़ी ।।

चाहतों का रहा न ठिकाना वहाँ
चाहतें आसमाँ पे थी पहुँची हुई ।
आसमाँ पे पहुँच तो गया मैं मगर
अब उतरने का कोई बहाना न था ।।

एक दिन बाग में आये वो प्यार से
कह दिये अजनबी हो, रहो अजनबी ।
सन्न हो मैं गया कुछ भी कह न सका
अजनबी हो गया मैं उसी शाम से ।।

अजनबी हो गया मैं मगर दिल मेरा
आज भी उनकी यादों में गुम हो रहा ।
मेरी चाहत अभी भी है तुमसे सनम
अब तो मिलने का कोई बहाना न था ।।

अजनबी शहर में अजनबी राह पर
अजनबी से मुलाकात होने लगी ।
अजनबी वो भी थे अजनबी हम भी थे
अजनबी से जरा बात होने लगी ।।

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