22/07/2016

" वो हमें हम उन्हें भूल जाने लगे "

वो हमें हम उन्हें भूल जाने लगे ।
पास आए मगर दूर जाने लगे ।।

गुल में जो साज थे सारे झड़ने लगे,
शूल आके हृदय में जो गड़ने लगे ।
वक्त की आँधियों ने बदल सब दिया,
आज वो ही हमें आजमाने लगे ।।

एक अर्शे से चाहत थी जिस बात की,
बात हो कुछ हमारे मुलाकात की ।
तोड़ डाले सभी भाव - बन्धन के वो,
जिनको पाने में शायद जमाने लगे ।।

अभ्र से सब्र जब टूट जाते हैं तो,
वादियों से घटा छूट जाती हैं तो ।
इश्क जब प्यार से रूठ जाता है तो,
हम उन्हें प्यार से तब मनाने लगे ।।

लफ्ज मुख से निकलते नही वक्त उस,
वो मुझे देखकर रोज होते हैं खुश ।
पर परेशाँ तो होते हैं वो भी कभी,
मुझसे नजदीकियाँ वो बढ़ाने लगे ।।

मैं भी था प्यार पे अपने बिलकुल अड़ा,
भाव के बन्धनों को रहा था बढ़ा ।
वक्त की साजिशों से पलट सब लिया,
अब मुझे प्यार से वो बुलाने लगे ।।

फिर चली सर्द - वायु  उसी रात को,
उसने खोली हमारी गई बात को ।
मुझको याद कराया मेरा पहला दिन,
पुनः आपस में प्यार जताने लगे ।।

जो भी थी दूरियाँ सारी मिट अब गई,
जो गलत - फहमियाँ थी सिमट सी गई ।
एक - दूजे लिपट कर गले हम मिले,
वो हमें, हम उन्हें पास पाने लगे ।।

वो मेरी भावनाओं को सुनती गई,
साथ ही ख्वाबों को अपने बुनती गई ।
आसमाँ के तले नील लेटे हुए,
एक - दूजे के सपने सजाने लगे ।।

वो हमें हम उन्हें भूल जाने लगे ।
पास आए मगर दूर जाने लगे ।।

No comments:

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...