21/09/2016

'' गुफ़्तगू है के उनको चमन चाहिए ''

गुफ़्तगू है के उनको चमन चाहिए ,
दर ब दर उनको मेरा नमन चाहिए।

अश्क हैं न यहाँ आँख में थम रहे ,
हम गरीबों के तन पे कफ़न चाहिए।।

इब्तदा कब हुई , इन्तहा है कहाँ ,
अब भगीरथ में इक आचमन चाहिए।।

जो नही जानते इश्क़ में मर्शिया ,
मेरी गलियों में अब आगमन चाहिए।।

लूटना है मुझे प्यार से लूट लो ,
पर कटीले ,वो तिरछे नयन चाहिए।।

रोज़ कहते रहे इश्क़ कर लो मिया !
इश्क़ करने के ख़ातिर सनम चाहिए।।

वो हवस के पुजारी वहाँ हैं खड़े ,
चींथने के लिए इक बदन चाहिए।।

भस्म करना अगर हो उन्हें नारियों !
दिल में शोला , करों में अगन (अग्नि )चाहिए।।

मजलिसें चल रही हैं शहर दर शहर ,
अब मुझे इक शहर में अमन चाहिए।।

कई सालों रजिस्टर रहा मेज पे ,
तब समझ आया के उनको धन चाहिए।।

वो धरा पे रहेंगे नही इस कदर ,
हाँथ में आज स्टेटगन चाहिए।।

जीत लूँगा जहाँ ये अगर साथ दो ,
पर  कदम दर कदम पे , कदम चाहिए।।

ज़िन्दगी मौज़ में अब बहाओ मेरी ,
आज कुदरत की मुझको रहम चाहिए।।

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