28/09/2016

'' भारत माता ''

















इस जमाने में मुझे गम्भीर सी हुंकार देना ,
रूप देना , शौर्य देना ,इक नया अवतार देना।

मैं शहीदों सा  मरूं हो जश्न पूरे देश में ,
बोल दूँ जय हिन्द बस इसके लिए पल चार देना।।

हो नही अभिमान मुझको राष्ट्र पे मैं मर मिटूँ ,
गोलियाँ सीने पे खाऊं शक्ति सब साकार देना।।

वीरगति मैं प्राप्त होऊँ इस भयंकर युद्ध में ,
पुण्य भारतवर्ष का मुझको सदा संस्कार देना।।

माँगने पर यदि मिले न छीनकर मैं खा सकूँ ,
ज़ुल्म से लड़ता रहूँ ऐसे परम अधिकार देना।।

मैं झुका न हूँ , झुकूँ न चापलूसों की तरह ,
फिर नही इस देश को आशाभरी सरकार देना।।

हे मेरी माते ! मुझे रोको नही अब जंग से ,
एक बेटा मर गया तो दूसरे को प्यार देना।।

मैं बड़ा पापी हूँ , मैं हतभाग्य बंधन सख्त हूँ ,
युद्ध के मैदान में ही माँ मुझे उद्धार देना।।

शाखे - गुल पे बैठ के मैं भी इबादत कर सकूँ ,
हिन्द का बच्चा हूँ , हिंदुस्तान में घर द्वार देना।।

मैं अगर कर्तव्य - पथ से च्युत कभी हो जाऊँ तो ,
लेखनी मेरी !मेरे कविकर्म को धिक्कार देना।।

मैं यहाँ अभिमन्यु के सम हूँ अकेला भीड़ में
'' नील '' तुम इन कायरों को अब सुदृढ़ आधार देना।।

2 comments:

Unknown said...

अतिशोभनम्

Poetry With Neel said...

धन्यवाद भाई साहब

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