08/11/2016

बुरा लगता है

बुरा लगता है,
जब कोई कोशिश करे उतारने की
चेहरे पर लगे हुए मुखौटे को
तब बुरा लगता है।
फिर चाहे हों मित्र ,बन्धु
पिता माता या हो कोई और।

और बहुत बुरा लगता है तब
जब कोई कमेंट्स करे अपनी बहन पे ,
देखकर बजाये सीटियाँ या
खींच लिया हो दुपट्टा ,
फाड़ दिए हों कपड़े सरेराह
मन होता उतार दूँ पूरा का पूरा
ख़न्जर उसके हृदय में ,
तोड़ दूँ बत्तीसों दाँत या
तोड़ कर हाँथ - पैर बैठा दूँ साले को
अधमरा कर दूँ ,
ताकि दुबारा वह किसी से बोलने में भी
काँप उठे।
पर बुरा नहीं लगता तब जब हम स्वयं किसी की
बहन बेटी या बहू पे डाल रहे होते हैं डोरे
या पास कर रहे होते हैं ढ़ेर सारे भद्दे कमेंट्स

बुरा लगता है ,
जब मजाक ही सही कोई प्रयोग करे प्रेमिका
के लिए वो शब्द ,
जो वह स्वयं प्रयोग करता हो
किसी दूसरे की प्रेमिकाओं के लिए
मॉल और भौजी जैसे शब्द ,
जब उन्ही का प्रयोग होने लगे स्वयं पर
तब बुरा लगता है।

और बुरा लगता है तब ,
जब यथार्थ के धरातल पर लाकर पटक दे कोई ,
दिखा दे तुम्हारी नग्नता भरी तस्वीर ,
तुम्हारे एकटक देखते रहने का कोई कर
दे विरोध या
दे दे गालियाँ ,
लगे तुम्हारी धज्जियाँ उड़ाने तुम्हारे ही
किये गए कारनामों पर ,
बात - बात में तुम्हें दिखाने लगे नीचा
और ,
अपना होकर जब कोई अपनेपन का अहसास
न होने दे तब ,
उसे ही नही मुझे भी
बुरा लगता है।।

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