30/10/2017

कभी - कभी मेरे गीतों को गुनगुनाया करो ( गज़ल )

Neelendra Shukla " Neel "
कभी - कभी मेरे तुम पास भी तो आया करो
कभी - कभी मेरे होंठों से मुस्कुराया करो

मेरी जुबाँ में सदा नाम तेरा रहता है
कभी - कभी मेरे गीतों को गुनगुनाया करो

कि वो तुम्हारी हर इक साँसें मुझपे गिर्वी हैं
कभी - कभी अपनी साँसें मुझसे ले जाया करो

मैंने अक्सर तुम्हें इस दिल की गली में देखा
कभी - कभी अपने दिल में मुझे बसाया करो

मेरी हर सुब्ह - शाम ढलती है यादों में तेरी
कभी - कभी मुझे अपना भी दिन बनाया करो

मैं फ़लक से भी तोड़ लाऊँ चाँद - तारों को
कभी - कभी मेरा जो साथ तुम निभाया करो

इश्क काफ़िर नही मेरा मुझे मालूम है पर
कभी - कभी मुझे ख़ुद से भी तो मिलाया करो 

4 comments:

askshahar said...

कभी - कभी मेरे गीतों को गुनगुनाया करो

wahhh nilesh bhai

Ritu asooja rishikesh said...

कभी-कभी मेरे गीतों को गुनगुनाया करो

Shivarchit said...

Kyaa baaat

Unknown said...

vah ustad ..
bahot khub

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